गांजा एक तमत्कारी पौधा
भारत में गांजा का इतिहास: बात है साल 1985 की जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी हुआ करते थे तबतक भारत में गांजे से बहुत असरदार दवाइयां भी बनती थीं। गांजा कोई नशे भर का साधन नहीं था पौराणिक धर्म ग्रंथों में गांजा को सबसे बढ़िया औषधीय पौधा बताया गया है। खैर अब आते हैं इतिहास में, तो सबसे पहले UN मतलब यूनाइटेड नेशन ने साल 1961 में गांजे को सिंथेटिक ड्रग्स की केटेगिरी में शामिल कर दिया और भारत से कहा की भाई तुम इसको बैन करों, लेकिन भारत ने तब UN की बात नहीं मानी। मामला सिर्फ दवाई बनाने का नहीं हिन्दू आस्था का भी था। हिन्दू धर्म में गांजे और भांग को लेकर लोग धार्मिक रूप से इमोशनली अटैच थे। फिर 1885 में UN ने बहुत दबाव बनाया अंत में आकर राजीव गाँधी की ने इसे सिंथेटिक ड्रग की श्रेणी का मान लिया और बैन कर दिया। और गांजा बाजार में बेचना अवैध हो गया। 1. भांग का एक टुकड़ा खेत 25 एकड़ जंगल के बराबर ऑक्सीजन पैदा करता है। 2. फिर से, एक एकड़ गांजा 4 एकड़ पेड़ों के बराबर कागज़ का उत्पादन कर सकता है। 3. जहां भांग को 8 बार कागज में बदला जा सकता है, वहीं लकड़ी को 3 बार कागज में बदला...